
दिवस और मातृ जैसे दो शब्दों को मिलाकर मातृदिवस बना है,जिसमे मातृ का अर्थ है माँ और दिवस का अर्थ है दिन। मातृदिवस को मदर्स डे भी कहा जाता है। इस तरह से मातृदिवस का मतलब माँ का दिन होता है। पूरे विश्वभर में मई माह के दूसरे रविवार को मातृदिवस अर्थात मदर्स डे मनाया जाता है। इस दिवस को मानाने का प्रमुख उद्देश्य माँ के प्रति प्रेम और सम्मान को प्रदर्शित करना है। हर जगह मातृदिवस को मनाने का तरीका अलग -अलग होता है, लेकिन इसका उद्देश्य एक ही है।
माँ :

शिशु का जब जन्म होता है तो उस शिशु का पहला रिश्ता उसकी माँ से होता है। एक माँ शिशु को 9 महीने पेट में रखने के बाद असहनीय पीड़ा सह कर अपने शिशु को जन्म देती है और उसे इस दुनिया में लाती है। इन 9 महीनों के दौरान शिशु और माँ में एक प्यार भरा अदृश्य गहरा रिश्ता बन जाता है। यह प्यार भरा रिश्ता शिशु के जन्म होने के बाद साकार होता है और जीवन के अंत तक बना रहता है।
माँ और बच्चे का रिस्ता इतना गहरा और प्यार भरा होता है की बच्चे को कुछ जरा सी तकलीफ होते ही माँ बेचैन हो उठती है।वहीँ तकलीफो में बच्चा भी माँ को याद कर रहा होता है। माँ का दुलार और प्यार भरा पुकार ही बच्चे को दवा का काम करता है। इसलिए तो ममता और स्नेह के इस पवित्र रिश्ते को संसार का सबसे खूबसूरत रिश्ता कहा गया है। दुनिया का कोई भी रिश्ता इतना प्यारा सुर मर्मस्पर्शी नहीं हो सकता।
मातृ दिवस :

मातृ दिवस अर्थात मदर्स डे मानाने की शुरुआत सबसे पहले ग्रीस देश में हुई थी, जहाँ देवताओं की माँ को पूजने का चलन शुरू हुआ था। इसके बाद इसको एक त्यौहार की तरह मनाया जाने लगा। हर माँ का जीवन उनके बच्चों पर समर्पित्त होता है। माँ के प्यार की गहराई को न मापना संभव है ना ही उनके एहसानो को चूका पाना संभव है। लेकिन माँ के प्रति सम्मान और कृतज्ञता को प्रकट करना हमारा कर्तव्य है।

माँ के प्रति इन्ही प्यार और सम्मान के भावो को प्रकट करने के लिए ही मातृ दिवस मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से माँ को समर्पित है। इस दिन को दुनियाभर में लोग अपने-अपने तरीके से मनाते है। कही पे माँ के लिए पार्टियों का आयोजन किया जाता है तो कही पे उहने उपहार और शुभकामनायें दी जाती है। कुछ लोग पूजा अर्चना करके तो कुछलोग माँ के प्रति अपनी भावनाएं लिखकर जताते है। इस मातृ दिवस को मानाने का
तरीका कोई भी हो लेकिन बच्चो में माँ के प्रति प्रेम और सम्मान चरम सीमा पर होता है।
उपसंहार:
इस धरती पर मौजूद हरेक इंसान का अस्तित्व माँ के कारण ही है। माँ द्वारा जन्म देने पर ही इंसान धरती पर आता है और माँ के दुलार,प्यार और स्नेह तथा संस्कारो में मानवता का गुण सीखता है। इंसान के हर विचार और भाव के पीछे माँ द्वारा रोपण किये गए संस्कारो के बीज हैं, जिनकी बदौलत इंसान एक अच्छे व्यक्ति के श्रेणी में आते हैं। इसलिए मातृ दिवस को मानना और भी अवश्यक हो जाता है। इणां अपने व्यस्त जीवन में हर दिन न सही तो कम से कम साल में एक बार तो माँ के प्रति सम्पूर्ण समर्पित होकर इस दिवस को एक उत्सव की तरह माना सकते है ।

Very Nice article on Mother!
Thanks